लैपटॉप तो मिला नहीं, अब टैबलेट देने का वादा कर रहे सीएम योगी

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ गुरुवार को विधानसभा में बोले। उनका संबोधन एक तरह से चुनावी रैली नज़र आया। उन्होंने जमकर लोकलुभावन ऐलान किए। ज्यादातर ऐलान ऐसे जिन्हें चुनाव से पहले पूरे कर देने की कोई संभावना नहीं है। हालांकि, योगी ने विधानसभा के मंच का इस्तेमाल चुनाव माहौल बनाने के लिए भरपूर किया।  

योगी आदित्यनाथ ने कुछ ऐसे वादे भी किए, जिनकी दिशा में उनकी सरकार ने बीते साढ़े चार साल में एक भी कदम नहीं उठाया है। योगी ने ऐलान किया कि प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं को भत्ता दिया जाएगा, एक करोड़ विधार्थियों को टैबलेट या स्मार्टफोन दिए जाएंगे।

तीन हजार करोड़ रुपये में एक करोड़ टैबलेट!

योजना के लिए प्लानिंग का स्तर ऐसा है कि इसके लिए तीन हजार करोड़ का बजट रखा गया है। एक करोड़ टैबलेट या स्मार्टफोन के लिए तीन हजार करोड़ का बजट है, तो विद्यार्थियों को क्या मिलना है इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।

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इसके अलावा योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माफियाओं की अवैध संपत्तियों पर गरीबों और दलितों के लिए घर बनाए जाएंगे। गरीबों को घर देने का वादा तो बहुत अच्छा है, लेकिन सवाल वही है कि इतनी देर क्यों हो गई। ऐसे वादे चुनाव के वक्त ही क्यों किए जा रहे हैं। क्या जितना वक्त बचा है, उतने में सरकार टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर पाएगी?

क्या सचमुच मिल गईं 4.5 लाख नौकरियां?

वादों के अलावा कुछ दावे भी किए गए। मसलन, नौकरियां देने का दावा। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उनकी सरकार ने 4.5 लाख नौकरियां दी हैं। ये ऐसा आंकड़ा है, जिसकी पुष्टि न तो सरकार खुद कर पाती है और न ही वो युवा जिनको नौकरी मिली हो। पिछली बार नौकरी देने के जो विज्ञापन बनाए थे, वे इस हद तक झूठे निकले कि विज्ञापन में लेखपाल की नौकरी पाने का दावा करने वाला शख्स आज तक लोगों को नहीं मिल पा रहा है।

चुनाव के समय होते ही रहेंगे वादे!

खैर, इस तरह के वादे सिर्फ करने के लिए होते हैं। न इन्हें पूरा करने की किसी की नीयत होती है और न ही जनता इन वादों को याद रखती है। पार्टी कोई भी हो, चुनाव कोई भी हो या सरकार का मुखिया कोई भी हो। चुनाव के ठीक पहले ऐसे वादे किए जाते हैं और सत्ता का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ चुनाव में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए किया जाता है।

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योगी आदित्यनाथ भी अलग नहीं हैं, तो उन्होंने भी ठीकठाक मात्रा में ऐसे वादे कर दिए हैं जिनके बारे में न तो कोई कभी पूछेगा और न ही सरकार उन्हें पूरा करने की दिशा में कदम उठाएगी।