मिर्गी का दौरा पड़ने पर चमड़ा या मोजा सुंघाने से क्या होता है?

मिर्गी, ये एक ऐसी बीमारी है, जिसे अक्सर गलत रूप में समझा जाता है. कहीं ये कहा जाता है कि झाड़फूंक से मिर्गी ठीक हो जाती है, तो कहीं कहा जाता है कि शादी के बाद मिर्गी के दौरे बंद हो जाते हैं. झाड़फूंक मानने वालों के लिए सड़क के किनारे अक्सर बंगाली बाबा टाइप के लोग बैठे होते हैं, जो सरेआम विज्ञान को चूरन खिला रहे होते हैं और हैरानी की बात ये है कि आज भी लोग इन्हें मानते हैं.

एक और धारणा है कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर अगर चमड़े की चप्पल या मोजा सुंघा दिया जाए तो इंसान को राहत मिलती है. लेकिन इसकी सच्चाई क्या है? क्या सचमुच चमड़े से मिर्गी के मरीज ठीक हो सकते हैं? आइए जानते हैं:-

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मिर्गी होती क्या है?

ये कोई भूत-प्रेत या ऊपरी चक्कर नहीं है. ये सीधे तौर पर एक बीमारी है. ये बीमारी दिमाग की रेशेनुमा नसों या आप बारीक तार समझ लीजिए। इन्हीं में गड़बड़ी होने पर होती है. कई बार इसका कोई कारण पता नहीं होता है. ऐसे में जब इंसान के दिमाग में इस तरह की दिक्कतें होती हैं, तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ता है. अक्सर, ये बीमारी दिमाग में शुरुआती गड़बड़ी की वजह से होती है. फिर भी 30-40 पर्सेंट ऐसे होते हैं, जिनमें यह नहीं पता चल पाता है कि आखिर मिर्गी हुई कैसे.

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मिर्गी के दौरे पड़ने पर अक्सर इंसान के हाथ-पैर अकड़ने लगते हैं, शरीर में तेज झटके लगते हैं, आंखों के सामने तेज रोशनी सी दिखने लगती है, किसी खास अंग में तेज दर्द होने लगता है और कई बार मुंह से झाग निकलने लगता है.

मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें और क्या नहीं

ऐसे में सबसे जरूरी है कि कभी भी मिर्गी का दौरा पड़ने पर चमड़ा या मोजा न सुंघाएं, मरीज के मुंह में दवा पानी या कुछ भी डालने की कोशिश न करें. जी नहीं, चमड़ा सुंघाने से मरीज ठीक नहीं होता है, इसे नोट कर लीजिए. होता ये है कि मिर्गी के दौरे 2-3 मिनट के ही होते हैं, ऐसे में लोगों को लगता है कि उनके कुछ सुंघाने से दौरा बंद हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं होता है.

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दौरा पड़ने पर शरीर तेज झटके मारता है, ऐसे में मरीज के शरीर को दबाने की कोशिश भी न करें, ऐसी स्थिति में फ्रैक्चर होने का डर होता है. दौरा रुकने के बाद मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं. जाहिर है कि यह बीमारी है तो इसका इलाज भी हगै. ज्यादातर मरीज कुछ सालों तक दवा खाने के बाद ठीक हो जाते हैं. कुछ परिस्थितियों में आजीवन दवा खानी पड़ सकती है. 

अच्छी आदतें बनाइए

तो अगली बार इतनी कृपा करिए कि किसी को मिर्गी का दौरा पड़ते दिखे तो उसे जूता-मोजा सुंघाने या मारने-पीटने की कोशिश करिए. बहुत परोपकारी बनना है, तो उसे करवट लिटा दीजिए और दौरा शांत होने पर डॉक्टर के पास ले जाइए. अगर आप खुद मिर्गी के मरीज हैं, तो कोशिश करिए कि नशा पत्ती न करें, हो सके तो सेहत का ध्यान रखने के लिए समय से सोना, जागना शुरू करिए और मौज करिए. सब चंगा सी रहेगा.