हिंदी साहित्य

युद्ध की संभावना पर क्या कहते कुरुक्षेत्र रचने वाले दिनकर

दिनकर व्यक्ति नहीं रहे। दिनकर एक चेतना हैं। एक राष्ट्र की चेतना। केवल भारत की नहीं, किसी भी स्वाभिमानी राष्ट्र की चेतना। वह वीर रस के कवि माने गए लेकिन उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति उसे मानी गई जिसमें उन्होंने प्रेम लिखा।

प्रजातंत्र एक अबूझ पहली है जिसका आधार भ्रम है

प्रजातंत्र के रक्षकों के लिए संविधान सिर्फ एक ढाल बनकर रह गया है जो समय-समय पर इन्हें सत्य पर असत्य की जीत दिलाता है। ये लोग भाषा की संयमता पर भी सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाते हुए एक-दूसरे पर आक्षेप लगाते है।