आखिर भीमराव आंबेडकर की विचारधारा क्या है?
किसी चौराहे या पार्क में नीले रंग की एक मूर्ति, जिसके हाथ में किताब दबी हुई है, इस किताब के ऊपर मोटे-मोटे अक्षरों में संविधान...
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
किसी चौराहे या पार्क में नीले रंग की एक मूर्ति, जिसके हाथ में किताब दबी हुई है, इस किताब के ऊपर मोटे-मोटे अक्षरों में संविधान...
प्रजातंत्र के रक्षकों के लिए संविधान सिर्फ एक ढाल बनकर रह गया है जो समय-समय पर इन्हें सत्य पर असत्य की जीत दिलाता है। ये लोग भाषा की संयमता पर भी सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाते हुए एक-दूसरे पर आक्षेप लगाते है।