महाराष्ट्र: अमित शाह को ‘सहयोगी’ आदित्य ठाकरे ही मात दे देंगे?

शिवसेना के बनने के वक्त से ही बाल ठाकरे ने खुद को सत्ता को चलाने वालों का मालिक बनाए रखा। पीढ़ी बदली, रवैया बदला और राजनीति भी बदल गई। खुद को शिवसेना का असली चेहरा बताने वाले राज ठाकरे किनारे कर दिए गए। उद्धव ठाकरे खुद उतने सफल नहीं हुए। इसी के चलते राजनीति सीधे तीसरी पीढ़ी में जाती हुई मालूम हुई।

महाराष्ट्र में शिवसेना की बागडोर लगभग आदित्य ठाकरे के ही हाथ में है। शिवसेना और खुद आदित्य भी बिना जताए खुद को महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहते हैं। इस मकसद में विपक्षी कांग्रेस-एनसीपी से बड़ी दिक्कत गठबंधन सहयोगी बीजेपी है। 2014 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर बीजेपी जीती इसलिए सीएम उसका बना। हालांकि, शिवसेना के कई नेताओं का कहना है कि पार्टी ने ढाई-ढाई साल सीएम बनाने की बात पर समझौता किया था। खैर, यह बात को देवेंद्र फडणवीस के पांच साल के कार्यकाल के साथ ही खतम हो गई है।

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खतरे में है देवेंद्र फडणवीस की कुर्सी?

देवेंद्र फडणवीस खुद से ही खुद को सीएम पद का दावेदार बता रहे हैं। शिवसेना फिलहाल चुपके-चुपके ही आदित्य ठाकरे को प्रोजेक्ट करना शुरू कर चुकी है। उम्मीद है कि ठाकरे परिवार की परंपरा को तोड़ते हुए आदित्य ठाकरे चुनाव में उतर ही जाएंगे। इसके लिए आदित्य ठाकरे खुद लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। लगभग पूरे राज्य में वह दौरा कर चुके हैं। पार्टी नेताओं से लगातार फीडबैक भी लेते रहे हैं और चुनाव अभियान में भी आगे से लीड कर रहे हैं।

फिलहाल शिवसेना-बीजेपी में आधी-आधी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात हो रही है। अंदरखाने यह भी चल रहा है कि मौका मिलते ही सामने वाले को पटखनी दे दी जाए। सीटों को लेकर अपनी दावेदारी के लिए शिवसेना और बीजेपी दोनों ही विपक्षी विधायकों को अपने पाले में करने में लगी हुई हैं। एनसीपी और कांग्रेस लगभग खाली हो चुकी हैं।

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एनसीपी-कांग्रेस में मची है भगदड़

एनसीपी के मधुकर पिचड़, उनके बेटे वैभव पिचड़, चित्रा वाघ, राणा जगजीत सिंह पाटिल, भास्कर जाधव, सांसद उदयनराजे भोंसले, शिवेंद्रराजे भोंसले, रणजीत सिंह मोहिते पाटिल और कई ऐसे नाम हैं, जो शरद पवार का साथ छोड़ शिवसेना या बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ठीक ऐसा ही कुछ कांग्रेस में भी चल रहा है, जिसके चलते कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि वह अपने सभी मौजूदा विधायकों को टिकट जरूर देगी।

दरअसल, शिवसेना और बीजेपी में सीट बंटवारे से पहले खुद को मजबूत करने की होड़ मची हुई है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि अगर शिवसेना के ज्यादा विधायक हो गए तो वह अपना सीएम बनाएगी। इसी को भांपते हुए बीजेपी भी किसी तरह से शिवसेना के इस मंसूबे को कामयाब नहीं होने देना चाहती है। बीजेपी के पास देवेंद्र फडणवीस के पांच साल का अनुभव है तो शिवसेना के पास सड़क पर हिंदुत्व की बजाय पढ़े-लिखों जैसी बातें करने वाला युवा आदित्य ठाकरे।

अमित शाह को हरा पाएंगे आदित्य ठाकरे?

अब देखने वाली बात यह होगी कि आदित्य ठाकरे मुंबई के यूथ से ज्यादा महाराष्ट्र के गांवों के लोगों को कितना प्रभावित कर पाते हैं। आदित्य ठाकरे के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि वह ‘राजनीति’ में अपने से कई गुना अनुभवी, सत्ताधारी और ‘येन केन प्रकारेण’ में एक्सपर्ट अमित शाह को हरा पाएं। चुनाव में भले ही शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस के खिलाफ लड़ेगी लेकिन आदित्य ठाकरे को अपना ‘चांस’ बनाने के लिए अमित शाह को हराना होगा।