पॉलिटिकल लव: प्यार करो, नागपुर वालों की तरह बदलो मत

यार एक बात बताओ नागपुर वाले फूफा को हुआ क्या है?
मुझे तो लग रहा है कोई कागज बदल दिया है।
हां लेकिन वो नागपुर वाले दादा की किताब भी बदल दिए हैं।
अच्छा लगता है कुछ अलग सोच रहे हैं फूफा।
अलग का तो पता नहीं पर 2019 का जरूर सोच रहे हैं।

 

तुम न एक मशीन हो गए हो।
अच्छा जी! किस चीज़ की मशीन हूँ मैं?
तुम बस प्यार की मशीन हो।
अच्छा मुझे लगा मैं घोषणा की मशीन हूँ।
अरे नहीं वो तो MP वाले मामा हैं ना।

 

मुझे तुम्हारी इकॉनमी समझ नहीं आती।
पहले तो बहुत आती थी अब क्या हुआ।
अरे पहले तुम अलग थी अब बदल गई हो।
वैसे मैंने क्या गलत कर दिया?
तुम अर्थशास्त्र की भाषा नहीं बोलती हो।
हां तो अरुण चाचा भी कहां बोल रहे हैं।
2013 तक सब ठीक थे अब सब बदल गए।

 

यार तुम न कुछ काम नहीं करते हो।
क्यों जी, इतना साल तक कौन करा है काम?
तुम्हारा कोई योगदान नहीं है किसी चीज़ में।
अरे अब तो नागपुर वाले फूफा भी मान गए योगदान को।
वो चाहे जो माने मैं तो नहीं मानती कुछ।

 

यार शादी में चलना है।
कहाँ जाना है वो बताओ पहले?
तमिलनाडु चलना है दोस्त की शादी है।
अच्छा चलो रास्ते से 5 लीटर पेट्रोल ले लेना।
नहीं यार बहुत कॉस्टली हो जाएगा।
अच्छा फिर डीज़ल ले लेते हैं।
हां ये थोड़ा ठीक है, गिफ्ट अपने बजट में लग रहा है अब।

 

यार पानी बहुत गंदा है।
अरे इसमें मैंने पैर धोये थे।
अच्छा तो पीना तो नहीं है इसे!
अरे नहीं बाबा मैं दुबे अंकल की तरह नहीं हूँ।
अच्छा वैसे मैं भी कोई भक्त नहीं हूँ।

 

तुम इंदौर गए थे?
हां वहाँ से मेरा पुराना नाता है।
तुम तो रहने दो हर किसी से तुम्हारा पुराना नाता ही है।
अरे बाबा सच में पुराना नाता है।
अच्छा जी पहले तो उनके खिलाफ बोलते थे कि वो ऐसे हैं वैसे हैं।
समझा करो 2019 करीब आ रहा है करना पड़ता है।

 

तुम लंदन वाले अंकल से मिले थे?
ऐसे ही मिला था बस 5 मिनट के लिए।
अच्छा वो पुनिया चाचा देखे थे तुम्हें मिलते हुए।
अरे वो झूठ बोल रहे है मेरी जान।
मिले तो तुम थे ही न मेरी जान ये तो सच है ना?