मोदी ही मीडिया के अन्नदाता हैं

प्रदर्शन को दर्शन में बदलने पर जो किक मिलता है न वैसा कहीं और नहीं मिलता. कुछ खास बात है प्रदर्शन में. प्रदर्शन की कला हर किसी को नसीब नहीं होती है. या यों कहें कि हर किसी के प्रदर्शन का स्वागत दुनिया ठीक से नहीं करती.

नोटिस करने लायक बनने के लिए मोदी होना पड़ता है. मीडिया देखो मोदी जी को हमेशा दिखाता रहता है. मोदी जी क्या खा रहे हैं, क्या पी रहे हैं. मोदी जी क्या ‘’कर’’ रहे हैं. क्योंकि दुनिया जानती है कि मीडिया मोदीमय है. जो चैनल मोदी के लिए समर्पित नहीं है उसके पास भी मोदी के अलावा कुछ नहीं है. कुछ मीडिया घरानों का पेट मोदी की बड़ाई करके भर रहा है तो कुछ का बुराई करके. मानो मोदी ही मीडिया वालों खर्चा पानी चला रहे हैं.

मोदी को कैसे चर्चा में रहना है बाखूबी आता है. स्टाइल भी है गजब है भाई साहब की. ऐसा भौकाली प्रधानमंत्री किसी युग में देखने को नहीं मिला. न भूतो न भविष्यति टाइप का.

 

बात प्रदर्शन की हो रही थी. मोदी का नाम आ गया. अब बात ही मोदी की कर लेते हैं. वाकपटुता अच्छी कला है. हर कोई नहीं हो सकता. हर किसी को हम सुन भी नहीं सकते. एक वक्त के बाद हर मधुर आवाज कर्कश लगने लगती है. मोदी के साथ सीन दूसरा है. उन्हें आलोचना करने के लिए ही सही लोग सुनते हैं. कई बार सुनते हैं. जानते हैं क्या बोलेंगे फिर भी आवाज म्यूट नहीं करते. क्योंकि मोदी हैं मायावी.

बी के एस अयंगर सत्तर के दशक में बड़े नाम बनकर उभरे थे. 1991 में उन्हें योग को प्रसिद्ध बनाने के लिए पद्मश्री पुरस्कार भी मिला था. 2002 में पद्म भूषण और 2014 में मरणोपरांत पद्म विभूषण. उन्हें एक बार टाइम मैगजीन ने 100 सबसे ज्यादा प्रभावी लोगों की लिस्ट में जगह भी दी थी लेकिन हिंदी भाषी प्रदेशों में उनका जलवा नहीं चल पाया.

बाबा रामदेव ने योग में जो क्रांति काटी और गदर मचाया वह कोई और न कर सका. याद है कि 2003 से ही बाबा आस्था टीवी पर दिखने लगे थे और लोग बाबा की गिरफ्त में आने लगे थे. कुछ दिन तो ऐसा जादू चला कि हर घर में चार ही बजे टीवी चालू हो जाता था और लोग फूंफा करने लगते थे. बाबा ने योग को हिंदी भाषी प्रदेशों में जबरदस्त पॉपुलर बनाया. बाबा ने तहलका मचा दिया. 2006 से स्टार्ट हुई कंपनी 1600 करो़ड़ का आंकड़ा पार कर गई. बाबा बिजनेस मैन बन गए. देश के हर घर में योग की पहुंच हो गई. ऐसा लगा कि योग गुरु पतंजली का पुनर्जन्म हो गया है. बाबा योग के सबसे बड़े नाम बन गए.

लेकिन नहीं! यह कैसे संभव था.

आर्यावर्त के यशस्वी सम्राट नरेंद्र मोदी जी हर कला में माहिर हैं. बाबा राम देव उनसे कहां बचते. मोदी योगा के आगे बाबा योगा की क्या बिसात.

21 जून को इंटरनेशनल योगा डे  का ऐलान यूनाइटेड नेशन ने 2015  में क्या किया योग का मोदीकरण हो गया. क्या शान से पूरी दुनिया मनाने लगी योग.

पूरी कलाकारी मोदी मार ले गए. मंत्री-संत्री, दोस्त-दुश्मन सब योग करने सेल्फी टपकाते नजर आने लगे. बाकी दिन तो बाबा रामदेव योग करते हैं लेकिन जून महीने में योग के सबसे बड़े प्रवर्तक स्वयं मोदी जी हो जाते हैं. रामदेव पोस्टरों से गायब हो जाते हैं मोदी जी का योग दुनिया देखने लगती है. क्योंकि मोदी जी मोदी हैं. वो तो भला हो स्वामी रामदेव ने युवाओं के लिए पचास हजार वैकेंसी क्या निकाल दी भला हो गया वरना बाबा तो योग दिवस के दिन अखबारों में भी नहीं दिखते.

क्योंकि मोदी जी औलिया आदमी हैं. उनकी कृपा बरसती रहे. जादू चलता रहे. कई पत्रकारों की रोजी रोटी भी उन्हीं के बहाने चल रही है. जो उनके चमचे हैं उन्हें भी फायदा पहुंच रहा है जो उनके विरोधी हैं उन्हें भी.

मैं मोदी को इसलिए ही अन्नदाता कहता हूं. मोदी जी अन्नदाता हैं. हम पत्रकारों के लिए तो खास तौर पर.

उम्मीद करते हैं 2019 में भी मोदी जी आएंगे और छा जाएंगे.

हर हर मोदी, घर घर मोदी.