केरल प्लेन क्रैश: हादसे के बाद ही क्यों जागते हैं हम?

हादसों से घिरे हम भारतीय कुछ दिनों तक तो ढोंग करते हैं लेकिन पहले से तैयार नहीं रहना चाहते। मसलन केरल में हुए विमान हादसे को ही देखिए। कोझिकोड एयरपोर्ट का रनवे बनाते समय यह बात तो जरूर ध्यान में रखी जानी चाहिए कि इसे टेबल टॉप न बनाया जाय। यह बात अब सबको याद आ रही है कि इसकी लंबाई बढ़ानी चाहिए थी, एक्सपर्ट ने सलाह दी थी, आदि-आदि।

सोचिए कि एयरपोर्ट बने 32 साल हो गए लेकिन किसी को यह समझ नहीं आया कि डिजाइन में कमी गलती है। अब दर्जनों की जान जाने के बाद सारा राग याद आ रहा है। रनवे से प्लेन का फिसलना या निश्चित जगह न रुकना आम बात हो चली है। ऐसे में रनवे के ठीक आगे खाई या गहरा गड्ढा होना एकदम बेवकूफी वाली बात है। यहां कहने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि प्लेन हमेशा रनवे के बाहर ही जाकर रुके लेकिन ऐसी घटनाओं से बचने के लिए जरूरी है कि रनवे की लंबाई पर्याप्त हो और आसपास का क्षेत्र भी समतल हो।