हाथरस केस: इन सवालों के जवाब शायद कभी नहीं मिलेंगे

हाथरस कांड. हत्या, रेप या हॉरर किलिंग? लगातार कई दिनों से जारी इस विवाद ने सबसे ज्यादा नंगा सिस्टम को किया है. जैसा फिल्मों में देखा जाता है, ठीक वही गुंडई. पहले तो केस दर्ज करने में लापरवाही. फिर इलाज में लापरवाही. आरोपियों की धर-पकड़ में लापरवाही. पीड़िता की मौत के बाद तो बेशर्मी शुरू हो गई. कमाल की बात है कि पीड़िता के परिवार के बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया. यह तक तय नहीं कि शव पीड़िता का था भी या नहीं. इन सबके बीच एक और एंगल को हवा दी जा रही है कि यह हॉरर किलिंग का मामला है। हॉरर किलिंग माने कथित सम्मान के चक्कर में परिवार के ही लोगों द्वारा हत्या कर दिया जाना, अकसर आप इसे ऑनर किलिंग के नाम से जानते होंगे।

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कुछ राज़, हमेशा राज़ ही रहेंगे?

इस केस में कुछ ऐसे सवाल खड़े हुए हैं, जिनके जवाब शायद किसी सीबीआई, एसआईटी या नार्को टेस्ट में कभी भी सामने नहीं आएंगे। मैं यहां दोनों पहलुओं को ध्यान में रखते हुए चल रहा हूं। या तो यह रेप और मर्डर केस हो सकता है, या फिर यह अफेयर और हॉरर किलिंग का केस हो सकता है।

दोनों ही पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कुछ सवाल इस प्रकार हैं:-

1. घटना के तुरंत बाद पीड़िता का मेडिकल क्यों नहीं हुआ?
2. क्या स्थानीय स्तर पर मामले को दबाने की कोशिश हुई?
3. अलग-अलग वीडियो में पीड़िता और परिवार के बयानों में विरोधाभास जैसी स्थिति क्यों?
4. पीड़िता की मौत के बाद शव परिवार को क्यों नहीं सौंपा गया?
5. किस डर और आदेश के कारण आनन-फानन में और बिना परिवार की सहमति से शव को जला दिया गया?
6. क्या जलाया गया शव पीड़िता का ही था?
7. इस सबके पीछे आखिर ‘ऊपरवाला’ कौन है?
8. अगर मामला हॉरर किलिंग का है, तो पुलिस अभी तक आरोपियों के खिलाफ एक भी सबूत क्यों नहीं ला पाई?
9. अगर अफेयर का केस है और यही हत्या की वजह तो इस संबंध में सबूत क्या हैं?
10. मीडिया को तीन दिन तक गांव में घुसने और पीड़ित परिवार से मिलने से क्यों रोका गया?
11. इसके पीछे क्या हाथरस के डीएम और एसपी ही हैं या सचिव और मुख्यमंत्री के आदेश पर ऐसा हुआ?
12. क्या FSL और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी की गई है?
13. क्या हर मामले में सिस्टम इसी तरह अपनी गुंडई करेगा और सबकुछ अपने हिसाब से ही तय करेगा?

बेशर्मो, एक और रेप हुआ है, फिर हमदर्दी दिखाओ और भूल जाओ

संभव है कि इनमें से कुछ सवालों के जवाब मिल भी जाएं। कुछ जवाब सिस्टम की सुविधानुसार हो सकते हैं। कुछ के जवाब में ट्रांसफर-सस्पेंशन भी हो सकते हैं लेकिन ये सवाल सिर्फ हाथरस मामले में नहीं बल्कि आमतौर पर सिस्टम और प्रशासन के काम करने के तरीके पर बड़ा प्रश्न चिह्न लगाते हैं और आम जनता के भरोसे को कमजोर करते हैं।