पांच राज्यों में साफ हो गई थी कांग्रेस, यहां जीते तो बल्ले-बल्ले

 

लोकसभा चुनाव के लिए औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। सात चरणों के चुनाव के बाद तय हो जाएगा कि क्या देश को एक नया प्रधानमंत्री मिलेगा या फिर नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश को नेतृत्व करेंगे। लगातार 10 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अबतक का सबसे खराब प्रदर्शन किया। कई राज्य ऐसे रहे, जहां उसका खाता भी नहीं खुला। ये राज्य ऐसे थे, जहां कई बार कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई है और लोकसभा में भी नंबर एक की पार्टी रही है।

हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की कुल चार सीटें हैं, पिछले चुनाव से उबरने की बजाय 2014 में कांग्रेस का यहां सूपड़ा साफ हो गया। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक सीट मिली थी और बीजेपी को तीन सीटें। वहीं 2004 की बात करें तो यही आंकड़ा एकदम विपरीत था। तब बीजेपी को सिर्फ एक और कांग्रेस को तीन सीटें मिली थीं। हिमाचल में अभी बीजेपी की सरकार भी है, ऐसे में कांग्रेस के लिए प्रदेश में वापसी करना काफी मुश्किल हो सकता है।

उत्तराखंड- क्लीन स्वीप के बदले क्लीप स्वीप
यूपी से अलग होकर बने उत्तराखंड में लोकसभा की कुल पांच सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां भी एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। कांग्रेस के लिए हैरानी वाली बात यह थी कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रस इन पांचों सीटों पर जीतकर आई थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीत पाने वाली बीजेपी अब पूर्ण बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में है। कांग्रेस के लिए यहां भी वापसी करना आसान नहीं होने वाला है।

राजस्थान
राजस्थान में कांग्रेस ने वापसी कर ली है और प्रदेश में उसकी सरकार है। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस की जो हालत हुई थी, उसे कांग्रेस दोबारा कभी याद नहीं करना चाहेगी। राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को एक पर भी जीत नहीं मिल पाई। 2009 के चुनाव में कांग्रेस को 25 में से 20 सीटें मिली थीं। वहीं, 2014 में सचिन पायलट और सीपी जोशी जैसे नेता अपनी सीट भी हार गए। खैर, प्रदेश की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस कम से कम इस जीरो के आंकड़े को दहाई का अंक पार कराने की कोशिश जरूर करेगी।

गुजरात
गुजरात को बीजेपी और नरेंद्र मोदी का गढ़ कहा जाता है लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से भी कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया था। राज्य की कुल 26 लोकसभा सीटों में कांग्रेस एक भी नहीं जीत पाई थी। 2017 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शुरुआत में बीजेपी को कड़ी टक्कर तो दी लेकिन जब नतीजे आए तो कुल 182 सीटों में बीजेपी को 99 और कांग्रेस को 77 सीटों पर ही जीत मिली। पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल भी अब कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। दलित नेता जिग्नेश मेवाणी निर्दलीय विधायक हैं लेकिन मोदी के विरोधी। ऐसे में कांग्रेस यहां जरूर भविष्य तलाशने की कोशिश करेगी।

झारखंड
झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। बीजेपी को 12 और झारखंड मुक्ति मोर्चा को दो सीटों पर जीत मिली थी। अब कांग्रेस ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से गठबंधन कर लिया है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कई सीटों पर परिणाम 2014 के नतीजों से इतर होंगे।

इन पांच राज्यों में कुल 74 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से 2014 में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीती थी। अगर 2019 में उसे वापसी करना है तो सबसे पहले इन्हीं राज्यों में खुद को मजबूत करना होगा। अगर यहां कांग्रेस आधी सीटें भी निकाल जाती है तो उसके लिए फायदा ही फायदा हो सकता है।