आखिर जुगनू के पास कौनसी टार्च होती है, जो वो चमकता रहता है?

जुगनू को अगर कुदरत की सबसे खूबसूरत और अनोखी देन कहा जाए तो गलत नहीं होगा। कैसे इतना छोटा सा जीव, बिना किसी से कुछ लिए, इतना मनमोहक दृश्य बनाता है. जुगनू खुद चमकता है. उसे न किसी टाइप सी चार्जर की जरूरत है, न किसी एलईडी बल्ब की. वो खुद-ब-खुद चमकता है. कैसे? ये सवाल भी वाजिब है, कि आखिर एक जीव हमेशा चमकता कैसे है. हैरान करने वाली चीज और है कि लगातार चमकने के बावजूद वह गर्म नहीं होता है, बल्कि उसकी रोशनी शीतल होती है. है न मज़ेदार?

आइए फिर समझा देते हैं कि जुगनू चमकता क्यों है?

आपने अगर जुगनू देखा हो, तो पाया होगा कि जुगनू के निचले यानी पेट वाले हिस्से पर रोशनी चमकती है. रोशनी हल्की होती है इसलिए दिन में नहीं दिखती लेकिन अगर दिन में भी आप जुगनू को अंधेरे कमरे में रखें तो ये रोशनी आपको साफ दिखेगी.

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इसका मतलब है कि जुगनू की रोशनी सिर्फ रात में नहीं बल्कि दिन में भी होती है. दरअसल, जुगनू का यह ‘ठंडा बल्ब’ उसके पेट का ही एक हिस्सा है. जुगनू हमारी तरह ही सांस लेता है और ऑक्सीजन अंदर जाती है. उसके शरीर में एक केमिकल होता है लूसीफेरिन. इसी लूसीफेरिन से जब ऑक्सीजन मिलता है, तो चमक पैदा होती है. जुगनू के पेट की चमड़ी, पतली और लगभग पारदर्शी होने से ये चमक बाहर भी दिखाई देती है. तो इनके चमकने का राज़ यही एक केमिकल रिऐक्शन ही है. इससे जुगनू को कोई नुकसान नहीं होता है. हां, एक जादुई रौशनी ज़रूर दिखती रहती है.

तेजी से कम होते जा रहे हैं जुगनू

लेकिन एक दुख की बात भी है. बीते कुछ सालों में आपने भी देखा होगा कि जुगनू कम दिखने लगे हैं. कई रिसर्च भी बताती हैं कि दुनिया से जुगनू खत्म हो रहे हैं. इसका पहला कारण खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक हैं, जिनसे हानिकारक कीड़ों के साथ जुगनुओं की नस्लें भी मर जाती हैं. 

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इसका दूसरा कारण तेजी से कटते जा रहे जंगल हैं. अक्सर झुरमुटों और झाड़ियों में रहने वाले जुगनुओं का अस्तित्व सिमट रहा है क्योंकि जंगल ही सिमट रहे हैं. तीसरा कारण- पटाखों, तेज रोशनी और अन्य किसी भी तरह से होने वाला प्रकाश प्रदूषण. दरअसल, ये ज्यादातर जमीन के नीचे रहते हैं. वहां उनके लिए कीटनाशक काल बनते हैं. 

तेज रोशनी पहुंचाती है नुकसान

एक्सपर्ट यह भी बताते हैं कि जुगनुओं का चमकना उनकी प्रजनन प्रक्रिया का हिस्सा है. मतलब इस चमक का पैटर्न साथी की तलाश की कोशिश भी होता है. ज्यादा रोशनी में ये अंधे हो जाते हैं और रास्ता भटक जाते हैं. इसकी वजह से उनका जैविक चक्र प्रभावित होता है और उनकी पीढ़ियां रुक जाती हैं.

कुल मिलाकर जुगनुओं के कम होने के लिए मानव की अमानवीय गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं. इसलिए कोशिश करें कि प्रकृति से उतना ही लें, जितना दे सकें. विकास के लिए विनाश का रास्ता ना अपनाएं.