घर लौटना चाहता है 1857 की क्रांति का एक सिपाही

लंदन के एक पब लॉर्ड क्लायड के मालिकों ने साउथ ईस्ट एशिया के इतिहास पर काम करने वाले इतिहासकार किम वैगनर से संपर्क किया है। दरअसल, इस पब में भारत के एक सिपाही आलम बेग की खोपड़ी रखी हुई है। अब पब मालिक किम से यह चाहते हैं कि वह आलम बेग के वंशजों से संपर्क करें और उनकी खोपड़ी को उनके हवाले कर दें।

1857 की क्रांति जब हुई तो सिपाहियों में विद्रोह की एक आग सी भड़क उठी थी। इसी आग में अपना सबकुछ जलाकर अमर होने वाले एक सिपाही थे ‘आलम बेग’। 46वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्टरी (ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना) में सिपाही आलम ने अपने साथी सिपाहियों के इस कार्य में सहयोग देने के लिए सियालकोट (अब पाकिस्तान) में अपने साथियों के साथ अंग्रेजों पर हमला कर दिया था और 7 अंग्रेजों का मौत का दरवाजा दिखा दिया।

इसके बाद आलम बेग फरार हो गए लेकिन बाद में उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया और सियालकोट लाकर उन्हें तोप से उड़ा दिया गया। जब उन्हें तोप से दागा गया तो वहां मौजूद एक अंग्रेज अधिकारी कैप्टन आर्थर रॉबर्ट जॉर्ज कॉसलो भी मौजूद था। कॉसलो आलम बेग के सर को विजेता ट्रॉफी की तरह अपने साथ ले गया। 1963 में यह खोपड़ी लंदन के पब लॉर्ड क्लायड के स्टोर रूम में मिली। यह यहां कैसे पहुंची इसके बारे में कुछ ठोस जानकारी तो नहीं है लेकिन अंदाजा लगाया जाता है कि इसे यहां कॉसलो खुद लाया होगा या किसी से भिजवाया होगा।

आलम बेग की खोपड़ी (फोटो क्रेडिट: द हिंदू)

लॉर्ड क्लायड जिसके नाम पर यह पब है, उसका दूसरा नाम कॉलिन थॉमसन भी है जो कि अंग्रेज सेना में अफसर था और 1857 की क्रांति के दमन में भी शामिल था। इस खोपड़ी के साथ एक नोट भी पब मालिकों को मिला है जिसमें आलम बेग के बारे में बताया गया है। 2014 में पब मालिकों ने किम वैगनर से संपर्क किया और इसे आलम बेग के परिवार तक पहुंचाने का अनुरोध किया। किम ने इसपर रिसर्च की और ‘द स्कल ऑफ आलम बेग’ नाम से रिसर्च पेपर में आलम बेग के बारे में लिखा।

किम की रिसर्च के मुताबिक, 46वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्टरी के ज्यादातर सिपाही उत्तर प्रदेश और बिहार के थे। आलम बेग भी संभवत: उत्तर प्रदेश के ही निवासी थे। हालांकि, ईस्ट इंडिया ने ऐसा कोई रेकॉर्ड नहीं छोड़ा है जिससे आलम बेग के परिवार के बारे में सही-सही पता चल सके।
किम कहते हैं, ‘भारत की वर्तमान सरकार शहीदों को लेकर काफी ऐक्टिव दिखती है, ऐसे में यही सबसे उचित समय है आलम बेग की खोपड़ी को उनके परिवार को वापस कर दिया जाए।’


Source: अंग्रेजी अखबार द हिंदू की वेबसाइट से साभार सहित, लेख को द हिंदू पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।