काश! इश्क़ की बातें होतीं

काश के मेरा नाम इश्क़ होता
तुम्हारा नाम भी इश्क़ होता
क्या होता जब सबका नाम इश्क़ होता।

हम जिस देश में रहते उस देश का नाम इश्क़ होता
हमारे घर का पूरा पता इश्क़ होता,
वो इश्क़ में बोलता मै उसे इश्क़ में सुनता
कैसा होता जब हम सबकी बोली में ही शामिल इश्क़ होता।

हमारा पहनावा इश्क़ होता
हमारा आचरण इश्क़ होता,
इश्क़ की बारिश होती और मिटटी की महक में भी इश्क़ होता.

कैसा होता जब इश्क़ की हवा चलती
और हमारी ये आँखे इश्क़ देखती,

हमारा कर्मा इश्क़ होता हमारा इमां इश्क़ होता

कैसा होता अगर मेरा धर्म इश्क़ होता
और तेरा मज़हब इश्क़ होता

हा शायद तब तो लड़ाइयां भी इश्क़ के लिए होती
और आखिर में जीतता भी इश्क़।

(यह कविता मोहित तिवारी ने लिखी है)