मिलती मुद्दत में है और पल में हँसी जाती है
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है,
आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है।
जहां बातें होंगी हिंदी इस्टाइल में
आप की याद भी बस आप के ही जैसी है,
आ गई यूँही अभी यूँही अभी जाती है।
भारत में किसी की भी सरकार आए……गांधी को पूजना उसकी मजबूरी है, लेकिन उनके सिद्धातों को अपनाना नहीं. कोई अपना भी नहीं सकता. गांधी आदर्श स्थिति हैं.
अगर हम गौर करें तो पाकिस्तान के साथ भारत का रुख बंटवारे के बाद से एक जैसा रहा है. जब कांग्रेस की सरकार रही तब भी, जब गैर कांग्रेसियों की रही तब भी. मनमोहन सिंह भी पाकिस्तान के लिए उतने ही बुरे थे, जितने नरेंद्र मोदी हैं.